लखनऊ। जन्म संस्कार और विभिन्न लोक भाषाओं में मंगल गीत विषय पर केन्द्रित लोक चौपाल में वक्ताओं ने लोक गीतों की विशिष्टताओं पर विस्तार से चर्चा की। शुक्रवार को लोक संस्कृति शोध संस्थान द्वारा आनलाइन आयोजित कार्यक्रम में संगीत विदुषी प्रो. कमला श्रीवास्तव और वरिष्ठ साहित्यकार डा. विद्याविन्दु सिंह ने चौपाल चौधरी की भूमिका निभाई।
संस्थान की सचिव सुधा द्विवेदी ने सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया। प्रो. कमला श्रीवास्तव ने कहा कि जन्म संस्कार के गीत कमोवेश पूरे भारत में मंगल गीत के रूप में गाए जाते हैं। उत्तर व मध्य भारत में सोहर बहुतायत में गाया जाता है। डा. विद्याविन्दु सिंह ने कहा कि जन्म के अवसर पर गाये जाने वाले लोक गीत बड़े मार्मिक हैं जो मां की संतान लालसा और फिर उल्लास को व्यक्त करते हैं।
यहां हर घर में राम और कृष्ण जन्म लेते हैं। श्रीराम और श्रीकृष्ण जन्म के सोहर गीत तो तमाम हैं किन्तु लोक में पार्वती पुत्र गणेश के जन्म के भी सोहर हैं। गोस्वामी तुलसीदास ने रामलला नहछू सोहर छंद में लिखा है। सोहर के अंत में यह कहा जाता है कि जे यही मंगल गावे औ गाइके सुनावै तरी बैकुंठ क जाए औ सुनैया सुख पावे... यही मंगल भाव है जो सोहर की खास विशेषता है।
चौपाल में डा. सुरभि सिंह, डा. अपूर्वा अवस्थी, आदि ने भी अपने विचार रखे। कार्यक्रम के दौरान कलाकारों ने पारम्पिक सोहर गीत गाये। शुरूआत प्रो. कमला श्रीवास्तव ने बाजत अवध बधइया से की।
डॉ. सुरभि सिंह ने कैसी फुली है फुलवार, कल्पना सक्सेना ने छापक पेड़ छिउलिया, तनु भार्गव ने मथुरा में जन्मे कन्हैया, शक्ति श्रीवास्तव ने राजा हम तोहका मनावे ना जइबे, रेखा अग्रवाल ने नीक लागे ना बलमुआ हरेरा गुड़, मधु श्रीवास्तव ने रामजन्म चैती और सोहर, रेखा मिश्रा ने दे दो बधाई कौसल्या माई, मंजू श्रीवास्तव ने बाजे-बाजे महाराज तोरे अंगन बधइया, नवनीता जफा ने मंगल कलश धरहुँ रे सखियाँ, सरिता अग्रवाल ने मंगा दे मुझे भौजी रानी लखनऊ के कंगना, लीला श्रीवास्तव ने बालु रेती में बंगला छवइयो राजा जी, रेनू दुबे ने कोई कोठे से उतरी भउजिया, अंजु ने कोठवा से उतरी फुलवरिया बीच ठाढ़, सुनीता पाण्डेय ने यशोदा के भये नंदलाल, शारदा पाण्डे ने आधा घर लिपनी ननदिया, सुधा द्विवेदी ने श्रीकृष्न ने जन्म लिया मामा के जेलों में, अंजलि सिंह ने बालुरेती में बंगला, ऋतुप्रिया खरे ने अंगनवा में खेले मोरे प्यारी ललनी, सुषमा प्रकाश ने बधावा लाई, स्वरा त्रिपाठी ने जुग जुग जियसु ललनवा जैसे गीत गाये। चौपाल में पल्लवी निगम, गौरव गुप्ता, राजनारायण वर्मा समेत अन्य मौजूद रहे।
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